नई दिल्ली : एक तरफ जहां पंजाब कांग्रेस में चल रहा घमासान खत्म नहीं हुआ है वहीं दूसरी तरफ अब कांग्रेस में एक नया विवाद खड़ा होता नज़र आ रहा है । दरअसल राहुल गांधी ने अपने एक बयान में अपने ही पार्टी के नेताओं के बारे में कहा था कि वे भाजपा से डरते हैं और आरएसएस के समर्थक हैं । जिसके बाद यह सवाल उठने लगा कि आखिर राहुल गांधी ने अपने इस बयान में किन नेताओं को निशाने पर लिया है ।
एक दूसरे की ताक़त बनकर खड़े रहेंगे- नहीं डरे हैं, नहीं डरेंगे!#Congress pic.twitter.com/x6DtkAALcv
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 17, 2021
राहुल गांधी ने कांग्रेस के सोशल सेल के वॉलंटियर्स को संबोधित करते हुए कहा था कि बहुत से लोग ऐसे हैं जो भाजपा से नहीं डर रहे हैं, वो कांग्रेस के बाहर के है । लेकिन वो सब हमारे हैं और उन्हें पार्टी में लाना चाहिए । वहीं जो हमारे यहां डर रहे हैं उन्हें बाहर निकालना चाहिए। अगर तुम RSS के समर्थक हो तो भाग जाओ, मज़े लो, हमें तुम्हारी ज़रूरत नहीं है । क्योंकि हमें निडर लोगों की ज़रूरत है और यही हमारी विचारधारा है । राहुल गांधी के इस बयान से यह तो स्पष्ट हो गया कि वे अपनी पार्टी में BJP से डरने वाले और आरएसएस के समर्थक नेताओं पर हमला करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं । लेकिन वास्तव में वो किन नेताओं पर हमला बोल रहे हैं इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जाने लगा कि क्या राहुल गांधी G-30 के उन नेताओं को पार्टी छोड़ने के लिए कह रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को चैलेंज दिया था? या फिर राहुल गांधी अपने उन करीबियों से ऐसा कह रहे हैं जो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिपाही बने बैठे हैं । एक सवाल तो यह भी उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी का अपने ही नेताओं पर से विश्वास उठ गया है? लेकिन एक मुख्य सवाल तो यह है कि वास्तव में राहुल गांधी के बयान का मतलब क्या है? क्योंकि एक तरफ तो वह पार्टी का साथ छोड़ने वाले नेताओं पर तंज कस रहे हैं तो दूसरी तरफ अपने कार्यकर्ताओं को भाजपा से न डरने का निर्देश भी दे रहे हैं ।
इसके अतिरिक्त राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि BJP पर तो कोई भरोसा नहीं करता । क्योंकि जब पीएम मोदी ये कहते हैं कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने बेहतरीन काम किया है तो लोग उनकी बातों पर हंसते हैं । अगर PM मोदी यह कहते हैं कि चीन हमारे बॉर्डर को पार करके अंदर नहीं घुसा तो भी लोग उन पर हंसते हैं । लेकिन सब सच जानते हैं, आप भी सच का साथ दो ।
दरअसल मुद्दा यह है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद से ही पार्टी में सियासी घमासान मचा हुआ है । छोटे-मोटे नेता तो बाद में लेकिन राहुल गांधी के करीबी भी पार्टी छोड़ रहे हैं । इनमें सबसे बड़ा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का है । राहुल गांधी से ज्योतिरादित्य सिंधिया की नज़दीकियों का अंदाजा इस प्रकार लगाया जा सकता है कि वे संसद से सड़क तक राहुल के साथ रहते थे । यही नहीं मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सिंधिया कांग्रेस का चेहरा भी थे । लेकिन कांग्रेस ने उनको दरकिनार करते हुए कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना डाला ।जिसके परिणामस्वरूप आज सिंधिया BJP के साथ हैं । इसके बाद भी राहुल गांधी ने कहा कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में रहते तो मुख्यमंत्री ज़रूर बनते लेकिन वह भाजपा में शामिल होकर बैकबेंचर बन गए ।
हालांकि जहां कांग्रेस एक तरफ राहुल गांधी के बयानों का बचाव कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के कई नेता ऐसे हैं जिन्होंने राहुल के नेतृत्व और कार्यों का विरोध करते हुए पार्टी छोड़ी और BJP में शामिल होकर ताकत बने । इसका एक उदाहरण हिमंत बिस्वा सरमा हैं जिन्हें राहुल गांधी ने समय और अवसर नहीं दिया । जिसके बाद साल 2015 में हिमंत ने कांग्रेस छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए । इसके बाद साल 2016 में असम में हुए विधानसभा चुनाव में BJP को मजबूती देकर मुख्यमंत्री बने ।।
This post was created with our nice and easy submission form. Create your post!