ट्रक और कंटेनरों में कई टन मार्बल पत्थरों के परिवहन से बढ़ने लगे दर्दनाक हादसे

जयपुर। विगत 2 अप्रैल को पाली के निकट गुंदोज बालरोई फोरलेन पर एक दर्दनाक हादसा हुआ। इस हादसे को कुछ लोग भगवान की मर्जी बता सकते हैं, क्योंकि जब कार कंटेनर के पास से गुजरी तो कंटेनर अचानक कार पर गिर गया। इससे अजमेर के मेडिकल कॉलेज के वित्तीय सलाहकार मनोज शर्मा सहित चार व्यक्तियों की मौके पर ही मौत हो गई।

यदि कार और कंटेनर की टक्कर आमने सामने होती तो चालकों की लापरवाही मानी जाती। कार जब ओवरटेक कर गुजर रही थी तभी मार्बल पत्थरों से भरा कंटेनर कार पर गिर गया, क्योंकि कंटेनर में 20 टन वजनी मार्बल पत्थर रखे थे, इसलिए कार का कचूमर निकल गया। यदि कंटेनर में मार्बल पत्थर नहीं होते तो कार की इतनी बुरी हालत नहीं होती। इसमें भगवान का कोई दोष नहीं है, बल्कि धंधेबाज लोगों का दोष है जो ट्रक और कंटेनरो में कई टन वजनी मार्बल पत्थरों का परिवहन करते हैं।

आमतौर पर तो यही माना जाता है कि ट्रकों और कंटेनर में माल ढुलाई का काम ही होता है इसमें भी मुख्य तौर पर खाद्य सामग्री का परिवहन होता है। सब जानते हैं कि देश में सबसे ज्यादा मार्बल पत्थर राजस्थान में ही निकलता है। यही वजह है कि जमीन से निकले कई टन वजनी मार्बल पत्थरों का परिवहन भी राजस्थान में ही सबसे ज्यादा होता है। खानों से निकलने वाला मार्बल पत्थर अजमेर के किशनगढ़ और उदयपुर की राजसमंद मंडियों में कटने के लिए जाता है। ट्रक और कंटेनरो में मार्बल पत्थरों के परिवहन पर भले ही कोई प्रतिबंध नहीं हो लेकिन आए दिन होने वाले दर्दनाक हादसों को देखते हुए अब ऐसे परिवहन पर रोक लगनी चाहिए।

असल में मार्बल पत्थरों से भरे ट्रक और कंटेनर हाईवे पर तेजी से दौड़ते हैं तो कई बार संतुलन बिगड़ जाता है, क्योंकि कई टन वजनी पत्थर यूं ही रख दिए जाते हैं, इसलिए तेज दौड़ते वाहनों में कई बार पत्थर इधर-उधर लुढ़क जाते हैं। इससे ही हादसे होते हैं। मौजूदा समय में मार्बल पत्थरों के ट्रकों और कंटेनर में परिवहन को कोई नीति नहीं है, इस संबंध में राजस्थान सरकार को अपनी ओर से पहल करनी चाहिए। खानों से निकलने वाले मार्बल पत्थरों के सुरक्षित परिवहन के लिए नीति बननी चाहिए। यदि मार्बल पत्थरों का यूं ही परिवहन होता रहा तो निर्दोष लोग मारे जाते रहेंगे।

प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास माने या नहीं लेकिन मार्बल पत्थर का परिवहन करने वाले अधिकांश वाहन ओवरलोड होते हैं, क्योंकि अधिकांश खाने प्रभावशाली लोगों और मंत्रियों, सांसदों, विधायकों की है, इसलिए ओवरलोडिंग पर कोई कार्यवाही नहीं होती है। मार्बल पत्थरों के वजन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक ट्रक में एक या दो ही पत्थर रखे जाते हैं। इसी प्रकार एक्सेल साइज के कंटेनर में तीन पत्थर रखे जाते हैं। जब ऐसे मोटे-मोटे पत्थर असंतुलित होकर लुढ़कते है तो वाहनों की बॉडी कागज की तरह फट जाती है। यदि निर्दोष लोगों की मौतों को रोकना है तो सरकार को ट्रकों और कंटेनरों में मार्बल पत्थरों के परिवहन पर तत्काल रोक लगानी चाहिए।

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वाई.के. शर्मा
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