चुनावों में उत्तर प्रदेश का जवाब होगा महत्त्वपूर्ण!

चुनावों में उत्तर प्रदेश का जवाब होगा महत्त्वपूर्ण!

सुसंस्कृति परिहार : उत्तर प्रदेश ही पांच राज्यों में क्यों महत्वपूर्ण होता है इसका सीधा जवाब अक्सर यही होता है यहां से पी एम बनने की राह खुलती है। इसने बहुतेरे प्रधानमंत्री दिए हैं उत्तर प्रदेश ने ।इसमें कोई शक नहीं किंतु गुजरात से आए मोदी जी को क्यों भुलाया जा रहा है। उन्होंने एक नई इबारत लिखी है। अन्य बाहरी प्रधानमंत्रियों को भले छोड़ दीजिए। यहां यह भी जानना ज़रूरी है कि उनके पीछे संघ की बड़ी बड़ी ताकतें लगी थीं जिन्होंने अन्ना हज़ारे के साथ लोकपाल के किए छद्म आंदोलन रचा। देश की जनता को ठंडा ।जब सत्ता में आए तो लोकपाल की कभी चर्चा तक नहीं हुई।

अब संघ की नज़रें इन दिनों योगी आदित्यनाथ पर टिकी हुई हैं वे उनके ज़रिए प्रदेश जीतना चाहते हैं और बाद में उनका इस्तेमाल मोदीजी जैसा कर उन्हें दिल्ली सौंपना चाहते हैं। इसीलिए योगी आदित्यनाथ निडरता पूर्वक जितना दमन चक्र चला  सकते हैं चला रहे हैं उन्होंने अपना मुस्लिम विरोधी चेहरा बना लिया ताकि हिंदू वोट हथिया लिए जाएं। वे सामंतशाह की तरह ब्राह्मण,क्षत्रिय को छोड़कर  अन्य वर्गों को दहशत के साए लाकर तथा धर्मान्धता की आड़ में वोट हासिल करने की पुरजोर कोशिश में लगे है। इसलिए ऐसे लोगों का मुंह बंद करने उन्हें राशन में हर जिंस डबल करने और सरसों तेल, नमक आदि ज़रूरत का सामना मार्च तक देने का ज़बरदस्त प्रचार कर रहे हैं। उन्हें मालूम है कि खाने की सामग्री पाकर एक बड़ा वोटर उनका समर्थन करेगा।उधर किसानों के खाते मोदी जी 6000₹ भेजने और खाते चैक करने का ऐलान कर चुके हैं। अल्पसंख्यकों को डराकर गुजरात जैसा वोट लेना चाह रहे हैं।

चुनावों में उत्तर प्रदेश का जवाब होगा महत्त्वपूर्ण!

दूसरी तरफ पुलिस की बर्बरता बराबर जारी है यह मत हासिल करने में बराबर काम आता है।तीसरी प्रमुख बात यह है धर्म के नशे का इस्तेमाल जोर शोर से जारी है अयोध्या के राम मंदिर निर्माण से पूर्व लगातार हिन्दुत्व का  प्रचार प्रसार किया जा रहा है वह सिर चढ़ कर बोलता है। बाबरी विध्वंस के बाद जिस तरह हिंदू वोट कबाड़ा गया उसी तरह काशी  के बाद चमचमाते कारीडोर को सौंपने मोदी जी आने वाले हैं।जबकि अनेक मंदिरों के ध्वंस में विश्वनाथ मंदिर के कारीडोर के निर्माण से  अनगिनत लोग बेरोजगार हुए हैं परेशान हैं। किंतु बेमौसम शिव जी बारात बनारस में निकालकर हिंदुत्ववादियों को आमंत्रित किया जा रहा है। विदित हो शिव बारात अब तक शिवरात्रि को ही निकाली जाती रही है।इसका निकालना भी ग़लत है इससे कुछ विद्वान पंडित ख़फ़ा हैं पर इससे मोदीजी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। राममंदिर निर्माण की आधारशिला भी आपको मालूम ही होगा खरमास में रखी गई थी।रुष्ट पंडित सिर्फ श्राप दे सकते हैं चुप चुप और कुछ नहीं कर सकते हैं। लगता है भय का ज़बरदस्त बोलबाला है। राहुल गांधी इसलिए ठीक कहते हैं भय छोड़ो निडर बनो। सच ही है, बिना निडर बनें समस्याओं का समाधान नहीं निकलने वाला।

बहरहाल संघेच्छा सर्वोपरि। एक दबंग मुख्यमंत्री बाद के प्रधानमंत्री वे चाहते हैं ताकि मनुस्मृति को लागू किया जा सके और भारत हिंदू राष्ट्र में तब्दील हो सके। यहां यह विचारणीय है और निराश होने की कतई ज़रुरत नहीं है क्योंकि मोदीजी के आने से पूर्व परिस्थितियां अलग थीं। आज तो योगी जी ज़मीन किसकी हुई है जिन वर्गों को वे कुचलने और फुसलाने बेताब है उन्होंने दूसरे मोर्चे का रुख कर लिया। दलित, पिछड़ावर्ग अब भाजपा के हाथ से निकल चुका है इसलिए भ्रम में ना रहें। गन्ना,आलू किसान भी अपने वाजिब मूल्य के लिए तरह रहा है।बेरोजगार युवा पहले से मौके की तलाश में हैं। जहां तक महिलाओं का सवाल है वे तो बहुसंख्यक आज भी अपने पति के इशारे पर काम करती हैं।पढ़ी लिखी और उत्पीड़न की शिकार लड़कियों को लड़की हूं लड़ सकती हूं भा रहा है।

कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश में एक मीडिया के सूत्र, सर्वे में योगी जी को नंबर दो पर दिखा रहे है। पहले नंबर पर अखिलेश हैं जबकि बाकी चार प्रदेश कांग्रेस को जा रहे हैं। संभव है कोई कांग्रेस की लहर अन्य प्रदेशों की यहां भी चल जाए। कुछ कहा नहीं जा सकता। यदि उत्तर प्रदेश भाजपा हारती है तो यह स्पष्ट करेगा कि संघ के 2024 के स्वप्न निश्चित बिखर जायेंगे। देश में हर जगह लगभग एक सी हवा बह रही है लग रहा कि इस बार भाजपा के तंबू उड़ते नज़र आयेंगे।

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सुसंस्कृति परिहार
लेखिका स्वतंत्र लेखक एवं टिप्पणीकार है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।