मुख्यमंत्री महोदय, यह कैसी सरकार है जो सालों से जनता की मांग को अनसुना कर रही है?

मुख्यमंत्री महोदय, यह कैसी सरकार है जो सालों जनता की मांग को अनसुना कर रही है?

नागदा। कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में तीन नवीन जिले नागदा, चाचौड़ा एवं मैहर के सर्जन की स्वीकृति 18 मार्च 2020 को मिली। इस सरकार के गिरने के बाद नागदा को जिला बनाने की प्रक्रिया,  गजट नोटिफिकेशन एवं दावा /आपत्तियों को ग्रहण लगा है। तकरीबन ढाई बरसों से यह मामला पेड़ से गिरा खजूर पर अटका की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। इन दिनों इस मसले को लेकर सियासती घमासान मचा है। शहर की तस्वीर – तकदीर  बदलने की इस मांग की लड़ाई अब एक चौराहे पर तो खडी, एक नई राह की तलाश में भी हैं। अब लगभग यह तस्वीर तो साफ हो गई हैकि जनता की इस ख्वहिश  की गैंद शिवराज सरकार के पाले में है।  कमलनाथ सरकार मंत्रिमंडल की स्वीकृति को बस अमली जामा पहनाना बाकी है। इस मामले में भाजपा विचारक एवं कांग्रेस के बीच में सियासत मची है। कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है तो भाजपा बचाव की मुद्रा में हैं। इस सियासती  खेल ने अभी-अभी नई करवट ली है। अकस्मात दो दिनों के अंतराल में चार समीकरण  उभर कर सामने आए हैं । (1) जिले की दरकार को लेकर मुखिया शिवराज से कर्नाटक के राज्यपाल डॉ थावरचंद गेहलोत के संग एक प्रतिनिधि मंडल मिला(2) कांग्रेस विधायक दिलीपसिंह गुर्जर के नेतृत्व मे मांग को लेकर धरना  प्रदर्शन। (3)  मांग के पक्षधर मप्र शासन में कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त असंगठित कर्मकार  कल्याण मंडल के अध्यक्ष श्रीसुल्तानसिंह ने एक पत्र सीएम शिवराज को सौंपा। जिसमे  नागदा को जिला बनाने की सीएम की घोषणा की स्मृति को ताजा किया (4) प्रेस क्लब ने जनमत संग्रह एवं बुद्धिजीवियों से रायशुमारी पर केंद्रित  परिचर्चा का ऐलान किया।

डॉक्टर जटिया एक ताकतवर राजनेता
उक्त चारों मसलों पर चर्चा के पहले बड़ा एक मसला प्रासंगिक है।  शिवराज से जो प्रतिनिधि मंडल मिला उसमे  उज्जैन जिले के एक वजनदार राजनेता डॉ सत्यनारायण जटिया को शामिल नहीं करना  एक बड़ी चूक है। डॉ जटिया अतीत में भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री के ओहदे से नवाजे गए थे, इन दिनों आप भाजपा केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य है। बोर्ड सदस्य के किरदार में यह चेहरा हिंदुस्तान की सियासत में टॅांप 10 हस्तियों में शुमार है। सीएम से मिले प्रतिनिधि मंडल की यह खासियत रही कि भाजपा संगठन को कोई वजनदार राजनेता शामिल नहीं था। यह बात सामने आ रही हैकि सीएम से इस मसले पर प्रतिनिधि मंडल में  डा जटिया की प्रतिभागिता वरदान साबित होती। प्रतिनिधि मंडल की मुलाकात  पहले तो यह सोशल मीडिया तक सीमित रही। कोई ठोस वजह समानें नहीं आई। तीन दिन बाद पूर्व विधायक दिलीपसिंह शेखावत ने मीडिया से चर्चा में इसको रंग -रोगन किया और खुलासा किया कि जिस प्रतिनिधि मंडल में वे स्वयं शामिल थे, उनके साथ महामहिम भी थे। वे बोले , नागदा को जिला बनाने केा लेकर सीएम से चर्चा हुई। शिवराज के मुढ को आपने पढा और यह भी भांप लिया कि  वे सकारात्मक नजर आए। लेकिन  नागदा जिले के सर्जन में शामिल होने वाली तहसील खाचरौद, आलोट एवं महिदपुर की आपत्तियों को लेकर निराशा एवं  हताशा भी इजाहर कर दी।

बस्ती बसी नहीं शेर का भय
नवीन जिले के प्रार्दुभाव में  आपतियां भोगोलिक स्तर की ही वजनदार  होती है। किसी राजनेता का विरोध  वैधानिक  रूप से रोडा नहीं बनता।  इतिहास साक्षी हैकि आगर, अलिराजपूर, नीमच, सिंगरौली, और डिडौरी जितने भी नवीन जिलों का सर्जन  हुआ सब में दर्जनों आपतियां आई, लेकिन, खारिज हुई। उन आपतियों  पर मात्र  विचार होता जो जिले की भोगेलिक सीमा, प्राकृतिक आपदा मतलब नदी नाले की अड़चन आदि की बुनियाद पर टिकी होती है। उनका समाधान  भी तलाशा जाता। महज अखबारों मे विरोध या दल विशेष के नेता की  असहमति रोड़ा नही बनती।  यह तर्क अब हास्यास्पद हैकि नागदा को जिला बनाने में  आपतियों रोडा बनेगी।  जब सरकार ने आपतिया अभी आंमत्रित ही  नहीं की तो पहले से यह भय पैदा करना की यह कारण बाधक बन जाएगा। मतलब बस्ती बसी नहीं और शेर के आने का डरावना भय। यह नकारात्मक इच्छाशक्ति का परिचायक है। जहां तक महिदपुर की तत्कालीन कांग्रेस विधायक स्व कल्पना परूलेकर की आपति का हवाला दिया जा रहा है तो इस पत्रकार के पास वे प्रमाणिक दस्तावेज है जो  वर्ष 2012 में नागदा को जिला बनाने के  लिए आई आपत्तियों के प्रमाण है। तत्कालीन अवर सचिव  राजस्व विभाग  श्री अशोक गुप्ता हस्ताक्षार का वह दस्तावेज इस पत्रकार के पास सुरक्षित है।  इस अभिलेख में लिखा हैकि नागदा को जिला बनाने  के खिलाफ 3 अप्रैल 2012 को महिदपुर से कुल 7 आपतिया आई।  जिसमें महिदपुर के अभिभाषक एवं सामाजिक संगठनों के नाम शुमार है।  यह प्रमाणित  प्रोसडिंग 9 मई 2012 है। अवर सचिव के इस खुलासे में कल्पना के नाम का कोई दस्तावेज नही है। यह बात सत्य हैकि कल्पना की आपति समाचारों तक सीमित रही। इसी प्रकार से महिदपुर के वर्तमान विधायक श्री बहादुरसिंह चौहान ने भी उस समय में महिदपुर को जिला बनाने की मांग की थी। जब विरोध में कल्पना का नाम लिया जा रहा है तो महिदपूर भाजपा विधायक के नाम का तर्क  चतुराई से प्रकट नहीं किया। इनहोने भी समाचार पत्रों में महिदपुर को इस तथ्य के साथ जिला बनाने की मांग उठाई थीकि रियासत काल में महिदपुर जिला था। इसलिए इसी को जिला बनाया जाए।

यह तो नैतिक जिम्मेदारी
अब यदि ये फिर विरोध करते है तो भाजपा की  नैतिक जिम्मेदारी  िक वे अपनी पार्टी के विधायक को राजी करें।  इसी प्रकार से नागदा जिले में आलोट तहसील को शामिल करने का विरोध वहां के कांग्रेस विधायक मनोज चावला करें तो नागदा के कांग्रेस विधायक श्री गुर्जर की नैतिक जिम्मेदारी हैकि उन्हे राजी करें।

यहा गौर करने लायक बात हैकि एक बार नागदा को जिला बनाने का प्रस्ताव आपतियों के आधार पर प्रस्ताव निरस्त नहीं हुआ था एक राजस्व विभाग के अवर सचिव ने  सोची समझी रणनीति के तहत यह कहकर प्रस्ताव निरस्त किया थाकि नागदा को जिला बनाने के तथ्य उभर कर सामने नहीं आ रहे हैं। यह प्रस्ताव 2 जून 2012 को निरस्त हुआ। पत्र क्रमांक डी- 853/1777/ 2008 के माध्यम से निरस्त प्रस्ताव की सूचना जारी की गई। (इस अभिलेख के प्रमाण सुरक्षित है।)

विवाद के भंवरजाल में सीएम मुलाकात
प्रतिनिधि मंडल की सीएम से मुलाकात पर  कांग्रेस विधायक श्री गुर्जर ने सवाल खडे किए हैकि सीएम से जिले को लेकर महामहिम की जो चर्चा हुई  और मांग पत्र सौपा गया उसको सार्वजनिक किया जाए। गौरतलब हैकि प्रमाणिकता और सीएम के आश्वासन का प्रमाणिक  प्रसारण जब तक जनता के सामने ना आया तब तक तो प्रतिनिधि मंडल की बात जंगल में मौर नाचा किसने देखा की कहावत चरितार्थ है।

वैसे तो नागदा को जिला बनाने की मांग की अनुशंसा तत्कालीन  भाजपा राष्ट्रीय महासचिव श्री  थावरचंद गेहलोत ने 16 सितंबर 2010 को शिवराज के नागदा आगमन पर  की थी। यह मांगपत्र  भाजपा संगठन ने सौंपा था।( प्रमाण इस पत्रकार के पास सुरक्षित है। अब डॉ गेहलोत कर्नाटक के राज्यपाल के संवैघानिक एवं मर्यादित पद पर आसीन है। डॉ जटिया आज की स्थिति में भाजपा में एक वजनदार किरदार है। जिस भी राजनेता ने शिवराज से प्रतिनिधि मंडल का तानाबाना बूना वे संभवत बड़ी चूक कर गए कि डॉ जटिया को इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल करने की भूल कर गए।

सांसद एवं प्रभारी मंत्री को याद करते
बेहत्तर होता प्रतिनिधि मंडल में  सांसद श्री अनिल फिरोजिया प्रभारी मंत्री श्रीजगदीश देवडा और उज्जैन जिले कें निवासी उच्च शिक्षा मंत्री डा मोहन यादव भाजपा प्रदेश अध्यक्षश्री वीडी शर्मा  उज्जैन जिला भाजपा अध्यक्ष श्री बहादुरसिंह बोरमुंडला को भी शामिल किया जाता। ये सभी भाजपा के उर्जावान लोग हैं।

कांग्रेस की गूंज अभी सीमित
कांग्रेस विधायक दिलीप सिंह गुर्जर ने जिला बनाने की मांग को लेकर घरना आंदोलन कर दिया।  वे बोल रहे हैकि-  नागदा कागजी दस्तावेजों में तो जिला  बन चुका है। कमलनाथ सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी । बस अब दावे- आपतियों  पर सारा दारोमदार टिका है।  यहां पर यह कहावत भाजपा एवं कांग्रेस पर दोनों पर चरितार्थ हो गई कि कुलडी में गुड़ फोड़ लिया । कांग्रेस ने कोई बड़ा आंदोलन का मार्ग अख्तार नहीं किया।  जिसकी  गूंज भोपाल हाउस या वल्लभ्ठा भवन तक जाए।  इसी प्रकार से सीएम से मिले प्रतिनिधि मंडल पर भी यह कहावत  चरितार्थ होती है।

मंत्री दर्जा राजनेता की पेशकश
अभी तक के हालातों में इस मसले पर भाजपा खेमे से  पूर्व विधायक दिलीपसिंह शेखावत मोर्चा संभाले हुए हैं। लेकिन मप्र शासन में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त असंगभित कामगार बोर्ड के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता सुल्तानसिंह शेखावत ने सीएम के नाम पत्र भेजकर पूर्व विधायक श्री शेखावत की इस मसले पर जारी एकाधिकार की सियासत को ओवरटेक करने का प्रयास  किया है। उन्होंने मीडिया को बकायदा उस पत्र की प्रति जारी की है जोकि सीएम के नाम है जो  सकारात्मक  व जनहित की पक्षधर है। उन्होंने  पत्र में सीएम शिवराज को याद दिलाया  हैकि नागदा को जिला बनाने की स्वयं  ने 26 नवंबर 2018 को घोषणा की थी। उसको अब आगे बढाया जाए। हालांकि एक सप्ताह पहले विधान सभा में विधायक  श्री गुर्जर के सवाल पर  यह खुंलासा हुआ कि हैकि ऐसी कोई घोषणा सीएम नहीं की थी ।

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कैलाश सनोलिया
स्वतंत्र पत्रकार एवं विश्लेषक है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।