क्या बलात्कार के आरोपी थानेदार को निलंबित कर देने से राजस्थान पुलिस पर लगा दाग साफ हो जाएगा?

थाना परिसर में ही हुई बलात्कार की घटना पर चुप है सीएम अशोक गहलोत।

जयपुर। 8 मार्च को राजस्थान के डीजीपी एमएल लाठर के दखल के बाद अलवर जिले के खेड़ली थाने पर तैनात सब इंस्पेक्टर भरत सिंह जादौन को पुलिस सेवा से निलंबित कर दिया गया है। सवाल उठता है कि थानेदार की बर्खास्तगी से क्या पुलिस के दामन पर लगा दाग साफ हो जाएगा? भरत सिंह ने राजस्थान पुलिस के दामन पर ऐसा दाग लगाया है जो लम्बे समय तक याद रहेगा। 2 मार्च को एक 26 वर्षीय विवाहिता खेड़ली थाने में आई और अपने पति की ज्यादतियों की शिकायत की। विवाहिता ने यह भी बताया कि पति तलाक लेना चाहता है। थानाधिकारी ने विवाहिता की शिकायत की जांच सब इंस्पेक्टर भरत सिंह जादौन को दी। पति से काउसिलिंग करवाने के बहाने जादौन ने 4 मार्च तक तीन बार युवती के साथ बलात्कार किया। इसे जादौन की दिलेरी ही कहा जाएगा कि तीनों बार बलात्कार खेड़ली थाने के क्वार्टर में ही किया गया। यानि थानेदार थाने में ही बलात्कर करता रहा और थाने की पुलिस देखती रही। सब जानते हैं कि आम व्यक्ति तो थाने के बाहर खड़े संतरी को देख कर ही अंदर घुसने की हिम्मत नहीं करता है, जबकि भरत सिंह तो थाने के अंदर बलात्कार जैसा घिनौना कृत्य करता रहा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को संवेदनशील सीएम माना जाता है। क्या सीएम गहलोत उस 26 वर्षीय विवाहिता की मानसिक स्थिति की कल्पना करेंगे? जब खेड़ली थाने में थानेदार ही इज्जत लूट रहा हो, तब उस युवती की मानसिक स्थिति कैसी होगी? वो भी तब जब युवती अपने पति की ज्यादतियों से दु:खी हो? इस घटना का शर्मनाक पहलू यह भी है कि थानेदार भरत सिंह की उम्र 54 वर्ष है। खेड़ली थाना अलवर जिले में आता है और इस समय अलवर की पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम हैं। हालांकि जब एसपी और रेंज आईजी हवा सिंह घुमरिया सख्त कार्यवाही के मूड में हैं और लक्ष्मणगढ़ की डीएसपी अशोक चौहान को भी एपीओ कर दिया है तथा थाने के हैड कांस्टेबल ओम प्रकाश को भी निलंबित कर दिया गया है। लेकिन इस मामले में सीएम अशोक गहलोत ने चुप्पी साध रखी है। गहलोत भाजपा शासित राज्यों में होने वाली आपराधिक घटनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन अपने प्रदेश में हुई घटना पर चुप्पी साध रखी है। जबकि गृह विभाग का जिम्मा भी सीएम गहलोत के पास ही है। ऐसे में खेड़ली थाने पर घटी घटना की गहलोत पर दोहरी जिम्मेदारी है।

महिलाएं ही संभालेंगी थाने का जिम्मा:

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राजस्थान के कोटा ग्रामीण के जिला पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने जिले के महिला पुलिस थाने पर एक सकारात्मक पहल की है। आमतौर पर महिला थानों पर पुरुष पुलिस कर्मियों की नियुक्ति कर दी जाती है। कई जिलों में तो पुरुष अधिकारी को ही महिला थाने का प्रभारी बना दिया जाता है। लेकिन कोटा ग्रामीण के महिला थाने पर अब कोई पुरुष कर्मचारी तैनात नहीं रहेगा। सिपाही से लेकर थानाधिकारी तक महिलाएं ही नियुक्त होंगी। एसपी शरद चौधरी ने बताया कि महिला थाने में महिला कार्मिको के रहने से पीड़ित महिला स्वतंत्रता के साथ अपनी बात कह सकती है। आमतौर पर पीड़ित महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकायतों को लेकर थाने आती हैं। ऐसे में पुरुष पुलिस अधिकारी के समक्ष अपनी बात कहने में पीड़िता को झिझक होती है। कोटा ग्रामीण के महिला पुलिस स्टेशन पर महिलाओं के लिए अनेक सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई गई है। चौधरी ने बताया कि उनके जिले में नियुक्त महिला कांस्टेबल व अन्य महिला कार्मिकों को मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण भी दिलवाया गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर महिला पुलिसकर्मी बदमाशों से मुकाबला कर सकें।

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