राजस्थान के मामले में कमजोर साबित हो रहे हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माने या नहीं लेकिन कांग्रेस की राजनीति में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को गांधी परिवार के सबसे ताकतवर सदस्य राहुल गांधी का पूरा समर्थन है। राहुल के समर्थन और संरक्षण के कारण ही पायलट ने मुख्यमंत्री पद पर जल्द फैसला करने की बात कही है। इतना ही नहीं गुलाम नबी आजाद की आड़ में पायलट ने गहलोत की कांग्रेस पार्टी के प्रति विश्वसनीयता ही समाप्त कर दी। पायलट ने इशारों में यह भी कह दिया कि कांग्रेस हाईकमान की भावनाओं के विपरीत अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी से चिपके हुए हैं। गहलोत के 50 वर्षों के राजनीतिक जीवन में इतना बड़ा हमला उन पर किसी ने नहीं किया होगा। 

यदि पायलट को राहुल गांधी का संरक्षण नहीं होता तो अशोक गहलोत, पायलट को कांग्रेस से बाहर करवा देते। असल में राहुल गांधी इस हकीकत को जानते हैं कि 2018 में पायलट के दम पर ही राजस्थान में कांग्रेस को बहुमत मिला था। राहुल को यह भी पता है कि यदि 2023 का चुनाव गहलोत के मुख्यमंत्री रहते लड़ा गया तो राजस्थान से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा। इसीलिए राहुल गांधी चाहते हैं कि पायलट को मुख्यमंत्री बना कर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सम्मान जनक स्थिति में लाया जाए। पायलट का ताजा बयान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े पर दबाव बनाने के लिए ही है। पाठकों को याद होगा कि अमरिंद सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटााने का निर्णय राहुल गांधी ने ही लिया था। तब राहुल के रवैए की आलोचना भी हुई, लेकिन अब राजस्थान का निर्णय मौजूदा अध्यक्ष खडग़े को करना है। हालांकि खडग़े को अध्यक्ष पद संभाले एक सप्ताह ही हुआ है, लेकिन खडग़े ने अध्यक्ष पद पर कोई प्रभावी भूमिका नहीं निभाई है। राजस्थान के मामले में तो खडग़े बेहद कमजोर साबित हुए हैं। गहलोत और पायलट गुट के नेताओं के बयानों से साफ जाहिर है कि खडग़े का संगठन पर कोई नियंत्रण नहीं है। गहलोत गुट के नेता जिस तरह बयान दे रहे हैं, उससे जाहिर है कि वे खडग़े को अध्यक्ष ही नहीं मानते हैं। सचिन पायलट के विरोध में सबसे तीखी प्रतिक्रिया आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ दे रहे हैं। राठौड़ ने तो यहां तक आरोप लगा दिया है कि जुलाई 2020 के सियासी संकट में पायलट के समर्थक विधायकों ने भाजपा से पैसे लेकर गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश की। अशोक गहलोत सचिन पायलट के बयान को तो उचित नहीं मानते हैं, लेकिन अपने समर्थक मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी, धर्मेन्द्र राठौड़ को बयानबाजी से नहीं रोकते हैं। 

उपलब्धियों पर पानी: एक नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान आगमन को ध्यान में रखते हुए गहलोत सरकार ने अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर उपलब्धियां गिनाई। लेकिन सरकार की इन उपलब्धियों ने पर उन्हीं के खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पानी फेर दिया है। खाचरियावास ने सार्वजनिक तौर पर बताया कि गहलोत सरकार के लापरवाह अफसरों की वजह से पीएम गरीब कल्याण योजना का 46 हजार टन गेहूं लैप्स हो गया है। यह गेहूं राजस्थान के चार करोड़ गरीब लोगों को मिलना था। यह बात भाजपा का कोई नेता कहता तो यह माना जाता कि आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। खाचरियावास के कथन की जांच करवाने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि खाचरियावास खुद इसी विभाग के मंत्री हैं। खाचरियावास का कहना है कि आईएएस की एसीआर भरने का काम मुख्यमंत्री के पास है, इसलिए ऐसी लापरवाही होती है। यदि आईएएस की एसीआर भरने का कार्य संबंधित विभागों के मंत्रियों को दिया तो अफसरशाही सुधर जाए। खाचरियावास के बयान से गहलोत सरकार की प्रचारित उपलब्धियों की हकीकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। 2 नवंबर को अलवर के खैरथल में सीएम गहलोत ने कहा कि प्रदेश के सभी 25 भाजपा सांसद नकारा मक्कार हैं, लेकिन मंत्री खाचरियावास ने कहा कि सरकार के अफसर नकारा है। इससे पहले भी कई मंत्री अपनी ही सरकार के कामकाज पर सवाल उठता चुके हैं।  

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एस. पी. मित्तल
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