जोधपुर ( बी, एल. लीलड़ )। जोधपुर ग्रामीण पुलिस के बालेसर थानांतर्गत उटाम्बर गांव में 26 मार्च 2021 को दरिंदों ने जिस बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया उसके पिता की मौत हो चुकी है और उसकी मां का पुनर्विवाह हो चुका हैं, वह अनाथ हो चुकी थी, ऐसी स्थिति में उसे समाज के संरक्षण की दरकार थी, वहीं उसे जीवन भर रिसते रहने वाले घाव मिले।
8वीं कक्षा में पढने वाली 14 वर्षीय दलित अनाथ बच्ची 26 मार्च को दोपहर में गायब हुई। उसके परिजन उसे आसपास ढूंढते है परन्तु वह कहीं नजर नहीं आती हैं। उसका चचेरा भाई अपने गांव उटाम्बर में ही वीर तेजाजी ज्वैलर्स दुकान के आगे पहुँचता हैं तो कुछ लोग इक्कठे मिलते है। उसने दुकान के अन्दर जाकर देखा तो बच्ची अर्धनग्न अवस्था में बेहोश पङी मिली, जहां से आरोपी इसे कहीं दूर ले जा कर फैकने की फिराक में थे परंतु धीरे-धीरे भीङ बढ़ने से वे ऐसा नहीं कर पाये।
हैवानियत से पहले अपहरण कर दिया कोई नशीला पदार्थ, शरीर पर गंभीर चोटों के निशान
लहुलुहान हालत में जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में कराया भर्ती
एक आरोपी ने बेहोश बच्ची पर बोतल से तेजाब छिङक कर जलाने की कोशिश की परंतु वहां पहुंचे लोगों ने फुर्ती से आरोपी की हाथ से बोतल छीन ली और उसको उसी दुकान में घेर कर बिठा दिया। शेष आरोपी मौका देख कर भाग गए। चचेरे भाई द्वारा दी गई रिपोर्ट में बच्ची के अपहरण करने, उसे नशीला पदार्थ खिलाने-पिलाने के बाद उसे बंधक बना कर सामूहिक बलात्कार करने की वारदात के संबंध में लिखा गया है।
26 मार्च की देर रात तक पुलिस उम्मेद अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के बाहर आक्रोशित लोगों की भीङ जमा हो गई। पीड़िता का ईलाज चल रहा था इसलिए चिकित्सकों ने किसी से मिलने की आज्ञा नहीं दी। महिला पुलिस अधिकारी पीङिता के साथ वार्ड में ईलाज और सुरक्षा के दृष्टि से मौजूद रही। अस्पताल में ही पीङिता के परिजनों ने एक लिखित रिपोर्ट पुलिस के आलाधिकारियों को सौंपी। पुलिस का कहना है कि कुछ संदिग्धों को राउंडअप कर रखा हैं, एफआईआर दर्ज होते ही उन्हे संबंधित अपराध में गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियो ने राजस्थान सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग की कि इस मामले में जल्द चालान पेश कर दिन-प्रतिदिन सुनवाई करके आरोपियों को कठोर से कठोर सजा दिलवाए।
ज्ञातव्य है कि दो दिन पूर्व राजस्थान पुलिस के मुखिया (DGP) मुख्यमंत्री के गृहजिले में बङे-बङे दावे कर के गए थे कि राजस्थान में महिलाओं और दलितों पर बढते मामलों में कठोर और त्वरित कार्रवाई की जाएगी, लेकिन ज़ुल्म की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।
इस प्रकार की दर्दनाक घटनाओं से शासन-प्रशासन की कलाई खुल रही हैं एवं एक चुनौती बन कर पेश हुई हैं, इसलिए इसे एक नजीर बनाने का वक्त हैं एवं अधिकारियों को भी अपना मानवीय सेवाभाव का धर्म निभा कर अपराध पर समय रहते काबू करना चाहिए। इस प्रकार की घटनाएं मानवता के माथे पर कलंक हैं।
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