अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आज 8 मार्च को सम्पूर्ण विश्व में मनाया जायेगा। आज के दिन देशभर की महिलाएं-पुरुष जाति-पांति, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से ऊपर उठकर इस दिवस को मनाते हैं। सरकारों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संस्थाएं महिलाओं के सम्मान में इस दिन समारोह आयोजित करती हैं।
आज के दिन महिलाओं को समाज में उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है। महिलाओं हेतु कार्यरत कई संस्थान प्रशिक्षण शिविर लगाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। समाज, राजनीति, संगीत, फिल्म, साहित्य, शिक्षा क्षेत्रों आदि में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। कई संस्थाओं द्वारा गरीब महिलाओं को आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है।
संस्कृत में एक श्लोक है- यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। नारी का रूप धरती पर सबसे पवित्रतम माना जाता है। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही है। नारी का सम्मान किया जाना आवश्यक है, जो वर्तमान में कम-सा हो गया है।
किसी समय में नारी को कमजोर, असहाय माना जाता था किन्तु आज की नारी आर्मी, एयर फोर्स, पुलिस, आईटी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा सहित कई क्षेत्रों में पुरूष के साथ कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर रही हैं। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में नारी तेजी से आगे बढ़ रही हैं। अपनी मेहनत तथा मेघा शक्ति के बल पर नारी ने हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित की है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी भी अपने दृढ़ संकल्प की वजह से अपने कर्मक्षेत्र में कार्यरत रहते हुए सफल हुई।
नारी अपने कार्यक्षेत्र के अलावा गृहकार्य तथा पढ़ाई-लिखाई के साथ बहुभूमिका निभाती है जबकि पुरुष वर्ग केवल कर्मक्षेत्र तक ही सीमित रहते हैं। इस नजरिये से देखें तो नारी पुरुष की तुलना में अधिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करती है।
लेकिन वर्तमान स्थिति पर नजर डाले तो आज नारी हर जगह प्रताडित होती है। आलम यह है कि वयस्क-अवयस्क नारी आज बाहर ही नहीं वरन् अपने रिश्तेदारों या यों कहे कि स्वयं के घर पर भी सुरक्षित नहीं है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक व विचारणीय है।
हर रोज अखबारों तथा टीवी न्यूज चैनलों में पढ़ने व देखने को मिलता है कि महिलाओं, बच्चियों के साथ छेड़छाड़ की गई, दुष्कर्म किया गया। शायद ही कोई दिन एसा हो, जब महिलाओं-बच्चियों के साथ अभद्रता एवं भ्रूण हत्या के समाचार न हो। परिणामस्वरूप आज महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में आधी से भी कम होती जा रही है। इंसान को यह नहीं भूलना चाहिए कि नारी द्वारा जन्म दिए जाने पर ही वह दुनिया में अपना अस्तित्व बना पाया है, उसे ठुकराना या अपमान करना सही नहीं है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का यथोचित सम्मान दिया गया है।
बहरहाल, एक दिवसीय महिला दिवस पर नारी का सम्मान कर पुरुष वर्ग अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकता। उसे चाहिए कि जब वह 8 मार्च को केवल एक दिन नारी का सम्मान कर सकता है तो वर्षपर्यन्त भी इसे निरन्तर जारी रखने का प्रण करें। अस्तु, समाज के प्रत्येक पुरुष की यह सोच होनी चाहिए कि वह महिलाओं को मानसिक-शारीरिक रूप से पूर्ण आजादी दें, उन्हें दहेज के लालच में जिंदा न जलाये, कन्या भ्रूण हत्या नहीं हो, परी-सी बच्चियों के साथ दुष्कर्म न हो, उन्हें बेचा नहीं जाये।
आइये, आज प्रण करें कि हम प्रत्येक नारी का सम्मान करेंगे तथा भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने में अपना पूर्ण योगदान देंगे।
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