जोधपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पाली जिले के सुमेरपुर में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य दिवस आयोजन में विजिट के बदले तीस प्रतिशत के हिसाब से 17 हजार रुपए रिश्वत लेते वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी व ब्लॉक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सुमेरपुर डॉ शरद कुमार सक्सेना को शनिवार को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। कमीशन देने से इनकार करने पर चिकित्साधिकारी को कारण बताओ नोटिस तक जारी कर दिया गया था।
ब्यूरो के उप महानिरीक्षक डॉ विष्णुकांत ने बताया कि सुमेरपुर में पावा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्साधिकारी व प्रभारी डॉ पवन कुमार की शिकायत पर तख्तगढ़ में वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ शरद कुमार सक्सेना को सत्रह हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। उसने सुमेरपुर में साकेत नगर स्थित अपने आवास पर रिश्वत ली। वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ शरद कुमार के पास सुमेरपुर के ब्लॉक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का अतिरिक्त चार्ज भी है। डॉ पवन की शिकायत पर 12 फरवरी को गोपनीय सत्यापन कराया तो रिश्वत मांगने की पुष्टि हुई थी। एसीबी ने ट्रैप कार्रवाई कर शनिवार को नोटिस फाइन व रिश्वत राशि देने के लिए वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के घर भेजा, जहां कमरे में डॉ शरद सक्सेना को रिश्वत के 17 हजार रुपए दिए। जो टेबल पर प्रिस्क्रिप्शन स्लिप बॉक्स में रख दिए। तभी एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भोपालसिंह लखावत ने दबिश देकर डॉ शरद कुमार सक्सेना को रंगे हाथों पकड़ लिया। घूस की राशि भी जब्त की गई।
उन्होंने बताया कि पावा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीन उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर हर गुरुवार को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य दिवस का आयोजन होता है। हर विजिट के बदले सरकार से 15 सौ रुपए देने का प्रावधान है। निरीक्षण ऑनलाइन ओडीकी एप से पूरा होता है। पावा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीन बसंत व हिंगोला उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं। प्रत्येक माह तीन गुरुवार के हिसाब से 45 सौ रुपए एमओ मोबिलिटी बनती है। जून 2020 से मोबिलिटी का भुगतान अपने स्तर पर करने की सरकारी अनुमति दी गई थी। डॉ पवन ने जून 2020 से दिसम्बर तक 31 हजार 500 रुपए का भुगतान उठाया था। बदले में उससे तीस प्रतिशत के हिसाब से कमीशन मांगा गया था। चिकित्सा अधिकारी डॉ पवन कुमार ने तीस प्रतिशत के हिसाब से कमीशन देने से इनकार कर दिया। तब 4 जनवरी को चिकित्सा अधिकारी को कारण बताओ नोटिस दे दिया गया था जबकि पूरे ब्लॉक में तेरह चिकित्सा संस्थानों में आठ चिकित्सा अधिकारी यह बिल उठा चुके थे। नोटिस सिर्फ डॉ पवन को ही दिया गया था। नोटिस फाइल करने व बिल भुगतान के कमीशन के तौर पर उससे 17 हजार रुपए मांगे गए थे।