आरटीआई में खुली पोल- बिड़ला उद्योग में श्रमायुक्त की अनुमति आदेश के 15 दिन पहले मजदूरों को ले- आफ

हास्यास्पद - भाजपा नहीं करेगी ले- ऑफ बर्दाश्त पर मजदूरों के गले नहीं उतरी रही यह नौटंकी! पढिए नागदा से कैलाश सनोलिया की खास रिपोर्ट।

नागदा 1 फरवरी। मप्र के उज्जैन जिलें में स्थित बिड़ला घराना के ग्रेसिम उद्योग में श्रमायुक्त के अनुमति आदेश के 15 दिनों पहले मजदूरों को ले-आॅफ देने का मामला सामने आया है। श्रमायुक्त डाॅ वीरेंद्रसिंह रावत ने 15 दिसंबर 2022 को ग्रेसिम में ले-आॅफ का आदेश दिया जबकि प्रबंधन ने 1 दिसंबर 2022 से ही ले आॅफ देना शुरू कर दिया। यह भी बडी बात  सामने आई कि जहां भाजपा एवं कांग्रेस संगठन इस ले आॅफ का जहां विरोध करते  नजर आए, लेकिन मजेदार बात यह हैकि इन दोनों संगठनों की विचारधारा के श्रम संगठन बीएएमएस एवं इंटक समेत अन्य श्रम संगठनों ने 29 नवंबर 2022 को ही ग्रेसिम प्रबंधन से इस मामले में एक गुपचुप समझौता कर लिया था। उक्त दोनों तथ्यों का राज एक सूचना अधिकार में सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता मोहम्मद रंगरेज निवासी नागदा के सूचना के अधिकार पर यह पूरा प्रकरण उजागर हुआ है।

सूचना अधिकार में श्रमायुक्त इंदौर के आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि सामने आई है। यह आदेश 15 दिसंबर  2022 को दिया है। श्रमायुक्त के आदेश की प्रति हिंदुस्थान समाचार संवाददाता के पास सुरक्षित है। उधर, ये प्रमाण भी सुरक्षित हैकि ग्रेसिम प्रबंधन ने इस निर्णय के पहल 1 दिसंबर 2022 सें मजदूरों को ले आॅफ दे दिया गया। जोकि 28 जनवरी 2023 को समाप्त किया गया।

श्रमायुक्त के आदेश निर्णय में यह स्पष्ट  लिखा हैकि दोनों  पक्ष (ग्रेसिम प्रबंधन एवं श्रम संगठन) से सुनवाई के बाद ग्रेसिम उद्योग में प्रतिदिन रोटेशन के आधार पर 1426 श्रमिकों में से 260 मजदूरों को ले-आॅफ की अनुमति दी जाती है।  हालांकि ग्रेसिम प्रबंधन ने यह ले आॅफ हाल में 28 जनवरी 2023 से एक नोटिस चस्पा कर समाप्त भी कर दिया है। कुल लगभग 58 दिनों तक यह ले आफ चला। लेकिन बडा मामला यह हैकि श्रमायुक्त के निर्णय के 15 दिन पहले ही मजदूरों को ले आॅफ दे दिया गया।

क्या बोले मजदूर नेता एंव अधिवक्ता

जाने-माने मजदूर नेता एवं वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट अभिभाषक सत्यनारायण पुरोहित से संपर्क करने पर उन्होंने दूरभाष पर हिंदुस्थान समाचार संवाददाता से बातचीत में बताया श्रमायुक्त के आदेश के 15 दिन पहले ग्रेसिम के मजदूरों को ले आॅफ देना अवैधानक है। प्रबंधन का निर्णय विधि सम्मत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा प्रबंधन का यह निर्णय जन्म से ही अवैध है। मजदूरों को ले आॅफ दिया गया उनको  पैसा प्राप्त करने का अधिकार है।

प्रबंधन ने 30 नवंबर 2022 को आवेदन पेश किया श्रमायुक्त के निर्णय में उल्लेख हैकि ग्रेसिम इंडस्टीज लिमिटेड स्टेपल फाईबर डिवीजन बिड़ला ग्राम नागदा द्धारा औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25-एम सहपठित मप्र औघेगिक विवाद अधिनियम नियम 1957 के नियम 75-बी के अ्रर्तगत कारखाना में नियोजित 1456 श्रमिकों में से अधिकतम  260 श्रमिकों को रोटेशन के आधार पर ले आफ के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया। यह आवेदन 30 नवंबर 2022 को श्रमायुक्त कार्यालय इंदौर में प्रस्तुत करने का उल्लेख है। इस आवेदन के साथ में उद्योग में कार्यरत श्रमसंगठनों से 29 नंवबर 2022 को सहमति लेने लेने की प्रति भी इसी कार्यालय में प्रस्तुत की गई।

श्रमायुक्त की सूचना के पहले ले आॅफ श्रमायुक्त ने अपने निर्णय में यह भी लिखा हैकि ले- आॅफ मामले में सूनवाई के लिए सूचना पत्र 8 दिसंबर 2022 को जारी किया गया। गौरतलब है कि यह सूचना पत्र दोनों पक्षों को सुनने के लिए जारी किया गया। यहां पर यह गौर करने लायक बात हैकि श्रमायुक्त पक्ष सुनने के लिए सूचना पत्र जारी कर रहे है औेर यहां तो 1 दिसंबर 2022 से ही मजदूरों को घर बैठाना शुरू कर दिया गया। मजेदार बात यह है कि श्रमायुक्त कार्यालय से यह सूचना प़त्र संबधितों को सूनने के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत व औधोगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा एम( 4)के अनुसार प्रभावित होने वाले श्रमिकों व श्रम प्रतिनिधियों को सुनवाई का अवसर देने के लिए जारी करने का उल्लेख है।

श्रमायुक्त कार्यालय में सुनवाई यहां पर गौर करने लायक बात हैकि इधर मजदूर ले आफ की चपेट में 1 दिसंबर से थें और उद्यर 14 दिसंबर 2022 को सुनवाई श्रमायुक्त के समक्ष हुई। जैसा कि निर्णय में लिखा हैकि प्रभावित मजदूरों, श्रमसंगठनां एवं प्रबंधन को सुनना आवश्यक है। इस सुनवाई में प्रभावित मजदूर की और से कोई नहीं पहुँचा। जबकि निर्णय में तीन किरदार प्रबंधन,  श्रमसंगठन एवं मजदूरों का उल्लेख है। श्रमायुक्त के जारी दिनांक 8 दिसंबर 2022 के सूचना प़त्र पर 14 दिसंबर को सुनवाई हुई।

महावीर जैन समेत प्रबंधन के अधिकारी श्रमायुक्त के समक्ष  जो 14 दिसंबर 2022 को सुनवाई हुई इसमें ग्रेसिम के सीनियर वाईस प्रेसीडेंट (कामर्शियल एवं फायनेंस ) महावीर जैन, वाइस प्रेसीडेंट( एचआरएम) एसके सिंह एवं अस्टिेंड वाइस प्रेसीडेंट (आय आर) विनोद कुमार मिश्रा की उपस्थिति का जिक्र आदेश में है। इसी प्रकार से श्रम संगठनों की और भारतीय मजदूर संघ के नेता अशोक गुर्जर, जोधसिंह राठौड़, तथा अन्य श्रमसंगठनों की और से जागेश्वर शर्मा, सुजानसिंह ठाकुर, जगमालसिंह राठौर ,राजेंद्र अवाना, मठिकंठन नायर, एवं मदन जाट की उपस्थिति का उल्लेख है।

23 करोड का घाटा प्रतिमाह

श्रमायुक्त के निर्णय में यह भी लिखा हैकि  प्रबंधन ने अपने आवेदन में यह लिखा हैकि वैश्विक मंदी के कारण ग्रेसिम के उत्पादन विस्कोंस फाइबर का विक्रय नहीं हो पा रहा है। इय कारण ग्रेसिम को प्रतिमाह 23 करोड़ का घाटा हो रहा है। इस मंदी से निपटने के लिए प्रबंधन ने पहले श्रमसंगठनों से परस्पर चर्चा की। इस चर्चा में जोघसिंह राठौर, अशोक गुर्जर समेत अन्य श्रमसंगठनों ने उद्योग की इस प्रकार की स्थिति से उबारने के लिए समाधान तलाशने का प्रयास किया। यह भी लिखा है कि श्रम संगठनों ने उद्योग की इस प्रकार की स्थिति से उभरने के लिए सामुहिक प्रयास की बात की। जिसके तहत 29 नवंबर 2022 को एक समझौता श्रम संगठनों नंे किया। जिसमें इस बात पर सहमति जताई कि  1426 श्रमिकों में से 260 मजदूरों को प्रतिदिन ले आफॅ दिया जाए।

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कैलाश सनोलिया
स्वतंत्र पत्रकार एवं विश्लेषक है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।