संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन विपक्ष के 12 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया। अब 12 सांसद पूरे सत्र में सदन लौट नहीं पाएंगे। इनमें कांग्रेस के 6, टीएमसी और शिवसेना के 2-2 जबकि सीपीएम और सीपीआई के 1-1 सांसद हैं।
ज्ञात हो कि पिछले सत्र में किसान आंदोलन एवं अन्य कई मुद्दों पर संसद के उच्च सदन में खूब हंगाम मचा था। उस दौरान इन सांसदों ने उप-सभापति हरिवंश पर कागज फेंका था और सदन के कर्मचारियों के सामने रखी टेबल पर चढ़ गए थे। इन सांसदों पर कार्रवाई की मांग की गई थी जिस पर राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को फैसला लेना था। संसद सत्र फिर से शुरू हुआ तो सभापति एम. वेंकैया नायडू ने अपना फैसला सुना दिया।
उन्होंने जिन सांसदों पर कड़ी कार्रवाई की है, उनमें अकेले कांग्रेस के 6 सांसद, फुलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रताप सिंह है। कांग्रेस के इन सांसदों के अलावा सीपीएम के एलमरम करीम, सीपीआई के विनय विश्वम, टीएमसी के शांता छेत्री और डोला सेन जबकि शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई को भी राज्यसभा की कार्रवाई से पूरे सत्र के लिए निष्कासित कर दिया है।
राज्यसभा से टीएमसी, सीपीआई, शिवसेना और कांग्रेस के सांसदों को निलंबित किया गया है। इससे विपक्ष भी एकजुट हो गया है। विपक्षी दलों ने सोमवार को एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि ये निलंबन राज्यसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों का उल्लंघन करता है। वहीं, कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यसभा से 12 सांसदों को निलंबित करने से बीजेपी मेजोरिटी में आ गई है। इससे वो राज्यसभा में आसानी से बिल पास करवा सकती है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। सिंघवी ने कहा कि ये पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कदम है।