
जयपुर। राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र पूर्व निर्धारित के अनुसार 19 मार्च तक चलेगा। हालांकि सत्र का अभी सत्रावसान तो नहीं होगा लेकिन सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जा सकता है। राज्य में तीन सीटों पर हो रहे उपचुनाव के बाद सदन की एक दो बैठकों के बाद ही बजट सत्र का सत्रावसान होगा।
विधानसभा बजट सत्र के चलते प्रदेश राजनीतिक गलियारे का माहौल भी गरमाया हुआ है। कांग्रेस के ही तीन विधायकों का एससी, एसटी और अल्पसंख्यक की अनदेखी का मामला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी के प्रभाव से सुसुप्त जरुर हो गया है, लेकिन इसकी चिंगारी अभी भी प्रत्यक्ष रूप से सुलगती हुई कल विधानसभा में देखने को मिली, जब बाड़मेर के गुढ़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी ने सभापति के बार-बार टोकने पर कहा कि मुझे पता है मुझे बोलने नहीं देंगे। बोलना बहुत कुछ है। मेरी आवाज को आप यहां दबा सकते है, लेकिन दूसरी जगह तो बोलेंगे ही। उन्होंने ये तक कह डाला बोलने का क्या खामियाजा मुझे भुगतना है तो मैं भी तैयार हूं। मेरे से कोई दुश्मनी है तो सजा दें, वह भुगतने को तैयार हूं, लेकिन गुढ़ामालानी की जनता का क्या दोष है, जो बजट में नाम के लिए एक सड़क मात्र ही दी है। इस सड़क से गुढ़ामालानी का क्या लेना-देना। केवल नाम से राजी करना चाहते है। उन्होंने अपने क्षेत्र में सड़क निविदा और घटिया सड़क निर्माण बताते हुए इसमें भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। उन्होंने राज्य की जांच एजेन्सियों तक के लिए कहा कि इन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। क्योंकि निर्माण कम्पनी के ठेकेदार एक्सईएन को बोरिया बिस्तर बांधने की धमकी देता है। यहां कहे तो किससे कहे, इसलिए जांच सीबीआई से होनी चाहिए। वो यहीं नहीं रुके उन्होंने कार्यशैली की कलई खोलते हुए कहा कि भुगतान रोका तो एडिशन चीफ इंजीनियर को धमका कर हस्ताक्षर कराए गए। अब इस लूट के खिलाफ मैं भी नहीं बोला तो लोग देखेंगे और कहेंगे हेमाराम भी कमीशन ले रहा होगा। उन्होंने छात्रावास भवन निर्माण को निरस्त करने पर कहा कि जो भाजपा ने कुकृत्य किया वही कांग्रेस भी कररही है। उन्होंने निराशा भरे लहजे में कहा कि ढाई साल गुजर गये, लेकिन सड़कों का काम ही शुरू होने का नाम नहीं ले रहा है।
कल विधानसभा में सड़क और पुल अनुदान मांगों पर बहस में सचिन पायलट खेमे के दो वरिष्ठ विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए उन्होंने अपने क्षेत्रों की सरकार द्वारा अनदेखी करने का आरोप जड़ दिया। झुंझुनूं के विधायक बृजेन्द्र सिंह ओला ने कहा कि बजट में झुंझुनूं के हाथ खाली के खाली ही रहे हैं। इसके लिए एक शब्द तक नहीं बोला।
उन्होंने कहा झुंझुनूं से पचेरी सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग बन जाती, लेकिन सरकार ने एनएचआईए को ट्रांसफर ही नहीं किया। यूपीए राज में रेवाड़ी से फतेहपुरा की सड़क मंजूर हुई थी जिसकी मांग कभी मेरे पिता ने भी की थी लेकिन आज भी दुर्भाग्य की ही बात है आज हम अपनी ही सरकार में इस सड़क को बनवा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा चडावा से सुल्ताना सड़क इसलिए नहीं बना रहे है, क्योंकि मेरा गांव रास्ते में आता है। अगर यही बात है तो चिड़ावा से सुल्ताना की सड़क को मेरा गांव छोड़कर ही बना दे।
उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए अंत में कहा कि बृजेन्द्र ओला को खाली रख दो, लेकिन उस विधानसभा क्षेत्र की जनता को तो खाली मत रखो। उन्होंने कहा एकमात्र झुंझुनूं जिला मुख्यालय ही एसा रह गया है जो राष्ट्रीय राजमार्ग से नहीं जुड़ा है।
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