सिद्धू पर दिल्ली दरबार से ख़तरे की आहट !

सिद्धू पर दिल्ली दरबार से ख़तरे की आहट !

सुसंस्कृति परिहार : ऐसा समझा जा रहा है कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री पटियाला नवाब अमरिंदर जी का दिल्ली में संजीदगी से मौजूद होना और भाजपा ज्वाइन ना करना लगता है सिद्धू के लिए किसी बड़ी ख़तरे की घंटी साबित हो सकता है। सूत्र बताते हैं इसकी भनक नवजोत सिद्धू को भी है वे इस फिराक में भी है कि अमरिंदर से पहले भाजपा में पुनर्वापसी कर लें पर हरी झंडी नहीं मिल पा रही है। अमरिंदर सिंह पहले सिद्धू पर कार्रवाई चाहते हैं फिर भाजपा की सदस्यता यानि सशर्त आमद।

आपको स्मरण ही होगा कि नवजोत पर अमरिंदर सिंह जाते जाते पाकिस्तानी सेना  प्रमुख आदि से सम्बन्धों और राष्ट्र द्रोही का आरोप लगाते रहे हैं उससे देश को खतरा बताते रहे हैं जिसे मज़ाक में लिया जाता रहा है।इस बार वे उस जगह हैं जहां से सब कुछ संभव हो सकता है। अमरिंदर संभवतः उसी काम में लगे हैं ।

याद करिए समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “देश के लिए मैं मुख्यमंत्री के पद के लिए उनके नाम का विरोध करूंगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान उनके मित्र हैं और वहां के आर्मी प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा के साथ उनके दोस्ताना रिश्ते हैं.”वे मुख्यमंत्री नहीं पाए। लेकिन अमरिंदर को मालूम है कि नवजोत की वज़ह से ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने विवश होना पड़ा। बुढ़ापे में लगी इस चोट से वे बुरी तरह आहत हैं और  इसलिए सिद्धू उनकी हिट लिस्ट में एक नंबर पर हैं। इस बीच सिद्धु पर और भी कई संगीन मामले सामने आए हैं जिसको बचाने वे अपने पसंदीदा अधिकारी रखना चाहिए रहे थे।जिस मतैक्य की वजह से चन्नी जी से नाराज़ होकर नवजोत सिंह ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ा है।

कुल मिलाकर नवजोत पर कब दिल्ली से गाज गिर जाए कहां नहीं जा सकता । कांग्रेस की अपनी परेशानी सिद्धू ने बढ़ा रखी है।वह भी सिद्धू को कैसे बचा पाएगी? चन्नी जी जबकि अपना काम सुचारू रूप से जारी रखे हैं जनहित में नये कामों की घोषणा से उनकी लोकप्रियता बढ़ी है। 

दो नावों पर सवारी कर चुके सवार नवजोत पर इस बार नये होने जा रहे सवार अमरिंदर ने मुसीबतें बढ़ाई हैं।देखना यह महत्वपूर्ण होगा कि भाजपा की नज़र में पिछला सवार फायदेमंद होता है या नया सवार। अनुभव तो यह बताते हैं कि पुराने सवार से ही बहुतेरे फायदे लिए जा सकते हैं इसलिए शायद सिद्धू को भाजपा हरी झंडी दे दे।जबकि इस बीच अमरिंदर की नेताओं से गहरी पैठ दिल्ली के विचार बदल भी सकती है वे दब कर नहीं दम से आरोप मढ़ रहे हैं।जबकि सिद्धू कमज़ोर साबित हो रहे हैं।यदि सिद्धू पर कोई बड़ी कार्रवाई होती है तो पंजाब कांग्रेस के लिए अमरिंदर के बाद दूसरी बड़ी क्षति होगी। झगड़े का अंत कांग्रेस के लिए दुखद हो सकता है पर इससे कांग्रेस के मतदाताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि पंजाब को जनता के बीच का सीधा सच्चा मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी के रुप में मिल चुका है।

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सुसंस्कृति परिहार
लेखिका स्वतंत्र लेखक एवं टिप्पणीकार है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।