जयपुर। आज हम विश्व जल दिवस मना रहे हैं। राजस्थान की भौगोलिक स्थितियों से कोई अनभिज्ञ नहीं है। सभी जानते है आधे से अधिक में मरु प्रदेश ही है, तो यहां वर्षा भी औसत से भी कम होती है। इस पर खोज की… बढ़ती जनसंख्या और उनकी पेयजल समस्याओं से निरन्तर जुझते राजस्थान में अंधाधुंध भूजल दोहन से इसका 75 प्रतिशत क्षेत्र अब डार्क जोन तक तो पहुंच गया है। वही हाल ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पांच श्रेणियों में ट्यूबबैल खोदने पर पांच साल की दी छूट के गंभीर परिणाम इस वर्ष नहीं तो आने वाले समय में भुगतने ही होंगे।
राजस्थान में भूजल की स्थिति दिनोंदिन चिंतनीय होती जा रही है। अगर विशेषज्ञों की माने तो 35 साल पहले अतिदोहित ब्लॉक केवल 12 ही थे। लेकिन उद्योग, खेती में पानी के अंधाधुंध उपयोग से भूजल स्तर नीचे चला गया है कि अब अति दोहित ब्लॉक्स 185 हो गई है। यानी राजस्थान का 75 प्रतिशत क्षेत्र डार्क जोन में आ गया है। कभी 1984 में राज्य में सुरक्षित ब्लॉक्स 203 थे जो अब 45 ही रह गये हैं।
गौरतलब है कि समय रहते प्रदेश में सत्तासीन सरकारों ने पानी को पर्याप्त महत्व दिया ही नहीं। हाँ इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है पानी की किल्लत की हायतौबा मचने पर सरकारें चेती जरूरपर किसी भी पेयजल सुधार योजनाओं की निरन्तरता को गंभीरता से लिया हो। और तो औ हमारे पूर्वजों के परम्परागत जलस्रोतों जैसे विसरा कर उनकी समय रहते सुध ली ही नहीं है।
विशेषज्ञों की माने तो अभी भी सरकार भूजल संरक्षण को गंभीरता से लेकर प्रदेश को ग्राउंड वाटर रेग्युलेटरी का अविलम्ब गठन कर खेती में अंधाधुंध पानी दोहन पर लगाम लगा कर सूखे जलस्रोतों की सुध लेकर उसका पुर्नजीवन देने की दिशा में पहल कर लोगों को भी पानी के प्रति सजगता अभियान को जन आन्दोलन का रूप देकर उनमें वर्षा जल सहेजने के संस्कार का निर्माण करने कराने की पहल करने की आवश्यकता है।
This post was created with our nice and easy submission form. Create your post!