बिड़ला ग्रेसिम उद्योग पाॅवर प्लांट की राख का ढे़र धसने से एक मजदूर की मौत।

नागदा 23 जनवरी । उज्जैन जिले के औद्योगिक नगर नागदा में सोमवार को चंबल नदी के किनारे बिड़ला ग्रेसिम उद्योग के बरसो पुरान ढेर के धंसने से एक मजदूर की मौत हो गई। इस हादसे में एक मजदूर घायल हुआ। प्रशासन के अमले ने काफी मशक्कत के बाद शाम को मजदूर को बाहर निकाला। पुलिस के अनुसार इस घटना में अजय पिता भारत निवासी गांव गिंदवानिया तहसील नागदा की मौत हो गई। जबकि दूसरे घायल का नाम धर्मेद्र पिता फत्तु निवासी गांव उमरना बताया जा रहा है। जिसको मामूली चोट आई है। प्राथमिक उपचार के बाद घायल को घर भेज दिया गया। बताया जा रहा हैकि मृतक को जब राख के ढेर से बाहर निकाला गया तब उसकी सांस चल रही थी। लेकिन ग्रेसिम जनसेवा अस्पताल जब उसे  ले जाया गया तक चिकित्सकों की टीम ने उसे मृत घोषित कर दिया। दबे मजदूरों का बाहर निकालने के लिए क्रेन का उपयोग किया गया।

इस प्रकार हुई घटना : जानकारी अनुसारचंबल नदी बायपास के समीप मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के समीप दो मजदूर ट्रेक्टर लेकर राख लेने पहुंचे थे। मजदूरों द्वारा आधे घंटे तक राख निकाली गईए लगभग  3 बजे अचानक उपर से राख का ढेर ट्रेक्टर पर आ गिरा और ट्रेक्टर मजदूर सहित अंदर धस गए।

प्रशासन का अमला तुरंत मौके पर पहुचा और आस.पास से जेसीबी व क्रेन की सहायता से राहत बचाव कार्य प्रारंभ कर दिया। लगभग 30 मिनिट बाद धर्मेन्द्र को बाहर निकाल लिया गया जिसे उपचार के लिए शासकीय अस्पताल ले जाया गया। इधर बचाव कार्य चलता रहाए लगभग शाम 5बजे ट्रेक्टर.ट्राली भी क्रेन की सहायता से बाहर निकाल ली गई। शाम   6 बजे राख के ढेर में फंसे मजदूर अजय को बाहर निकाला गयाए उस समय अजय की सांस चल रही थीए उसे तुरंत जनसेवा चिकित्सालय ले जाया गया वहॉं पर तीन चिकित्सकों की टीम ने उपचार किया और उसके पेट में से काफी मात्रा में मिट्टी निकाली। लेकिन राख में तीन घंटे तक दबे रहने के कारण शरीर में राख की मात्रा काफी हो गई थीए जिसके कारण उसे बचाया नहीं जा सका।

घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम आशुतोष गोस्वामीए तहसीलदार रामस्वरूप जायसवाल सीएसपी  पिंटू कुमार बघेल विघायक दिलीपसिंह गुर्जर आदि मौके पर पहुंचे और राहत कार्य पर नजर रखी।

ग्रेसिम का पूराना राख का ढेर बताया जा रहा है कि दुर्घटना स्थलग्रेसिम उद्योग का बहुत पूरान राख का ढेर है। उद्योग को चलाने के लिए यहां पर बिजली पैदा की जाती है। उद्योग ने अपने पाॅवर प्लांट बना रखे है। जिसमे कोयले को जलाकर बिजली पैदा की जाती है। जिससे राख बनती है। हालांकि अब तो राख को ईट बनाने के लिए प्रबंधन सप्लाय कर देता है। लेकिन किसी जमाने में बरसों पहले इस राख का चंबल नदी के किनारे फेंक दिया जाता था। यह लगभग 30 वर्ष पुरा ढेर होगा। जोकि बारिस के पानी से राख जम गई है। इस ढेर पर पैड पौधे भी पनप गए है।कई छोटे ईंट भट्टा संचालक जो उद्योग से राख नहीं खरीद सकते हैं वह इन्हीं ढेर में से चोरी.छिप्पे राख निकालने का कार्य कर रहे है। सोमवार को भीएक  ईंट भट्टा  ने अपने दो मजदूरों को राख लेने भेजा था। यह मजदूर ढेर के बीच में से रास्ता बनाकर राख निकाल रहे थे। जैसे ही बची में से राख निकली तो उपर से ढेर धंस गया तथा हादसा हो गया। पुलिस के अनुसार मर्ग कायम किया गया है। मंगलवार को जांच केबाद प्रकरण दर्ज किया जाएगा।

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कैलाश सनोलिया
स्वतंत्र पत्रकार एवं विश्लेषक है। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के लिए, सुझाव दें। धन्यवाद।