
नागदा। मध्य प्रदेश के पूर्व सूचना आयुक्त एवं देश के जाने- माने पत्रकार श्री आत्मदीप इन दिनों आर.टी.आई. पर पुस्तक लिखने के मिशन में जुटे हैंl यूं तो सूचना के अधिकार से संबंधित कई पुस्तकें एवं वीडियो बाजार में आए हैं, लेकिन यह माना जा रहा है कि श्री आत्मदीप की है यह पुस्तक आम जनता विशेषकर आंचलिक क्षेत्र के लिए उपयोगी साबित होगी । धरातल एवं यथार्थ का तजुर्बा लेखक के पास है । लेखक ने मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में 5 वर्ष तक कार्य किया है, आपका कार्यकाल सूचना अधिकार के क्षेत्र में एक विशिष्ट पहचान एवं नवाचार से समृद्ध रहा है । कई जनहित से जुड़े ऐसे क्षेत्र थे जहां पर सूचना अधिकार का अंधेरा पसरा था ,आपने इस कानून की बारीकियों को समझा और वहां पर आर.टी.आई. को रोशन किया । फोन पर आयोग में सुनवाई आप के कार्यकाल की देन है। यह प्रयोग जनमानस के लिए बड़ा सार्थक रहा। अपने सेवा काल में सूचना अधिकार को कुचलने के लिए नौकरशाह के मंसूबों पर आपने कई बार पानी भी फेरा। आर.टी.आई .के प्रति बेपरवाह अफसरों पर आपने ना मात्र जुर्माना किया साथ ही निर्णय में टिप्पणियां लिखकर उन्हें फटकार भी लगाई। इस प्रकार के नवीन प्रयोग व दंडात्मक कार्रवाई से आरटीआई की मंजिल पर कई इबारत लिखी। सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को न्याय दिलाने के लिए प्रथम पंक्ति में खड़े रहे। आपने राशन की दुकानों मैं सूचना अधिकार लागू करना तथा विद्यार्थियों को उनकी उत्तर पुस्तिकाएं आरटीआई के माध्यम से दिलाने के कई निर्णय समाचार पत्रों की सुर्ख़ियों के हिस्सा बने।
सूचना आयोग में आयुक्त का पद अमूमन सेवानिवृत्त आईपीएस आईएएस के समकक्ष होता है। देखने में आया की जनता से संपर्क आसान नहीं होता । एक पत्रकार के किरदार में इस लेखक ने आपके व्यक्तित्व को उनके कार्यकाल में परखा तो पद का रुतबा और शोहरत जनता के बीच कभी खाई नहीं बना।
थ्योरी एवं प्रैक्टिकल अनुभव
इस प्रकार की तमाम उपलब्धियों से यह माना जा सकता है कि आपको सैद्धांतिक एवं प्रैक्टिकल दोनों प्रकार का अनुभव इस क्षेत्र में है । यह अनुभव जब कलम से पुस्तक में मुखर होगा तो निसंदेह जनता में सूचना का अधिकार के प्रति जागृति आएगी । एक नई राह दिशा भी मिलेगी । आरटीआई के माध्यम से सूचना प्राप्त करने में जनता को किस प्रकार से अड़चन जाती है उसको भी आपने बहुत ही निकट से परखा है, अधिकारी वर्ग किस प्रकार से किसी सूचना को प्रकट करने में टालमटोल करते हैं ,वह भी आपने कई निर्णय मैं फोकस किया है। इस प्रकार की कार्य शैली का प्रतिबिंब इस पुस्तक में देखने की संभावना है।
वर्ष 2023 में पुस्तक होगी हाथ में
श्री आत्मदीप ने इस लेखक को बताया कि वर्ष 2023 मैं किसी भी समय यह पुस्तक जनता के हाथ में होगी। धरातल की समस्याएं जनता को किस प्रकार सफलता में बाधा उत्पन्न करते हैं उनका निराकरण क्या है इस प्रकार की सभी बातों का समावेश पुस्तक में संभव है । आपका यह कहना है कि जनता को मिले इस कानून का उपयोग आज भी देश में 1% लोग उपयोग नहीं कर पा रहे हैं । उसका मुख्य कारण जनजागृति का अभाव है।
पत्रकार का किरदार
राजस्थान के एक छोटे से गांव से लेकर राजधानी जयपुर तक आपने पत्रकारिता का सफर किया है। पिता से विरासत में मिले आर्य समाज के संस्कार ने भी उत्कृष्ट पत्रकारिता को एक नई दिशा दी। जयपुर में कई राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों में कार्य करने के बाद जब राष्ट्रीय स्तर का समाचार पत्र जनसत्ता मध्यप्रदेश में आया तब तत्कालीन संपादक स्वर्गीय प्रभाष जोशी ने आपको प्रदेश की बागडोर संभालने के लिए विश्वास किया। राजधानी भोपाल में पत्रकारिता के क्षेत्र में एक नई इबारत लिखी। इस दौरान सूचना आयोग में ख्यात पत्रकार के मापदंड से सूचना आयोग में कमिश्नर के पद की नियुक्ति भी मिली। यहां पर दीर्घकालीन कालीन पत्रकारिता के माध्यम से सूचना अधिकार कानून को बेहतर तरीके से तराशा और सार्थक किया । इस कानून को बेहतर बनाने के लिए आपने अनूठे कदम उठाए हैं । अब उम्मीद है कि अपने अनुभव, संस्कार, सोच ,तपस्या चिंतन ,एवं पत्रकारिता की छाप इस पुस्तक में परिलक्षित होगी। शुभकामनाएं।
