बिड़ला घराना के ग्रेसिम उद्योग में मजदूरों के साथ नाइंसाफी का मसला विद्यानसभा में गूंजा

हास्यास्पद - भाजपा नहीं करेगी ले- ऑफ बर्दाश्त पर मजदूरों के गले नहीं उतरी रही यह नौटंकी! पढिए नागदा से कैलाश सनोलिया की खास रिपोर्ट।

नागदा। बिडला घराना के उज्जैन जिले के औद्योगिक शहर नागदा में संचालित ग्रेसिम उद्योग में श्रमिकों को ले-ऑफ देने का मामला सोमवार को विद्यानसभा में शून्यकाल के दौरान गूंजा। नागदा-खाचरौद विधानसभा के कांग्रेस विद्यायक दिलीपसिंह गुर्जर ने इस मामले में मुख्यमंत्री एवं श्रममंत्री का घ्यान आकर्षित कर ले- ऑफ समाप्त करने की मांग की है। श्री गुर्जर ने सदन को अवगत कराया कि उद्योग के मार्केटिंग विभाग के अधिकारियों की अक्षमता का खामियाजा श्रमिकों को भुगतना पड़ रहा है। जबकि श्रमिको को ले- ऑफ प्राकृतिक आपदा, रा – मटेरियल की कमी के कारण ही दिया जा सकता है।

नियमों के विपरीत ले- ऑफ

लेकिन इन मापदंडों की स्थिति निर्मित नहीं होने पर भी मजदूरों को ले- ऑफ दिया जा रहा है।ृ उद्योग प्रबंधन ने वेश्विक बाजार में उत्पादन की खपत नहीं होने का आधार बनाकर नोटिस चस्पा किया था। जबकि माल की कि डिमांड बराबर बाजार में बनी हुई है। बैलेंस सीट में मुनाफा लगातार कंपनी का बढ रहा है । विद्यायक गुर्जर का यह भी कहना थाकि कोरोना की आड़ में ग्रेसिम प्रबंधन ने लगभग 3500 ठेका मजदूरों को बेरोजगार कर दिया गया है। आने वाले समय में स्थायी मजदूरों की संख्या में भी कटौती करने की प्रबंधन की नीति है। श्री गुर्जर का यह भी कहना हैकि उद्योग की मशीनों का कई बरसों से मेटीनेस कार्य नहीं हुआ है। नतीजन दुर्घटनाए भी हो रही है। आने वालें बरस में श्रमिकों के वेतनवृद्धि का समझौता भी होना है। इस कारण भी प्रबंधन श्रमिकों को ज्यादा वेतन नहीं मिले इस कारण नियमों कंे खिलाफ ले ऑफ दिया जा रहा है।

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